Ad Code

दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश : पल्लव वंश, राष्ट्रकूट वंश , चालुक्य वंश (कल्याणी), चालुक्य वंश (वातापी), चालुक्य वंश (बेंगी)

यह देखा गया है की बहुत सारे छात्र दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंशों से संबंधित प्रश्नों या सम्पूर्ण टॉपिक को स्किप कर देते है यह मानकर की यह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है| यह सोच बिल्कुल गलत है, आज के दौर में काम्पिटिशन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है व अभी इस प्रकार के टोपिक्स से प्रश्न पूछे जा रहे है | अभ्यर्थियों की इसी सोच की वजह से इन टोपिक्स से संबंधित प्रश्न आने पर उन्हे छोड़ना पड़ता है, जबकि हमारे लिए एक-एक नंबर की वैल्यू है क्योंकि कभी-कभी हम एक नंबर की वजह से सिलेक्शन से चूक जाते है | इसी की देखते हुआ आज हम दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश टॉपिक से केवल महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आए है अभ्यर्थियों को चाहिए की वे इन संक्षेपित तथ्यों को अपनी नोट बुक में लिख ले और दोहराते रहे ताकि उनसे परीक्षा में कोई ऐसा प्रश्न छूटे नहीं | तो चलिए एक नजर से सभी बिन्दुओ को देखकर साथ-साथ में नोट करें:-


दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश : 

Dakshin Bharat Ke Pramukh Rajvansh

इस पोस्ट में निम्न सभी वंश कवर किए गए है :-

  • पल्लव वंश (Pallav Vansh)
  • राष्ट्रकूट वंश (Rashtrakuta Vansh)
  • चालुक्य वंश (कल्याणी) (Chalukya Vansh- Kalyani)
  • चालुक्य वंश (वातापी) (Chalukya Vansh- Vatapi
  • चालुक्य वंश (बेंगी) (Chalukya Vansh- Vengi)

Dakshin Bharat Ke Pramukh Rajvansh
पल्लव वंश (Pallav Dynasty)

  • संस्थापक- सिंह विष्णु
  • राजधानी – कांचीपुरम (तमिलनाडु)
  • किरतार्जुनीयम के लेखक – भारवि (सिंह विष्णु के दरबार में)
  • पल्लव वंश का अंतिम शासक – अपराजित वर्मन
  • मतविलास प्रहसन की रचना – महेंद्रवर्मन
  • महाबलीपुरम के एकाशम मंदिर- रथ मंदिर
  • रथ मंदिर का निर्माण – नरसिंह वर्मन प्रथम
  • कुल रथ मंदिर – 07
  • सबसे छोटा – द्रौपदी रथ
  • वातापी कोंड की उपाधि – नर सिंह वर्मन प्रथम
  • अरबों के आक्रमण के समय पल्लव शासक – नर सिंह वर्मन -2
  • कांची के कैलाश मंदिर का निर्माण - नर सिंह वर्मन -2
  • इस मंदिर के निर्माण से द्रविड स्थापत्य कला की शुरुआत हुई |
  • दशकुमार चरित के लेखक – दंडी
  • दंडी नर सिंह वर्मन -2 के दरबार में रहते थे
  • कांची के मुक्तेश्वर तथा बैकुंठ पेरूमाल मंदिर का निर्माण – नंदिवर्मन -2

राष्ट्रकूट (Rashtrakuta Dynasty)

  • संस्थापक – दंतिदूर्ग
  • शुरुआत में ये कर्नाटक के चालुक्य राजाओ के अधीन थे |
  • राजधानी- मनकिर या मान्यखेट
  • एलोरा के कैलाश मंदिर का निर्माण- कृष्ण -1
  • ध्रुव शासक ने कन्नौज पर अधिकार के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया था |
  • हराया – प्रतिहार नरेश वत्स राज व पाल नरेश धर्मपाल
  • ध्रुव को धरावर्ष भी कहा जाता था
  • गोविंद -3 ने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर हराया – चक्रायुध व उसके संरक्षक धर्मपाल, प्रतिहार शासक नागभट्ट -2
  • अमोघवर्ष – जैनधर्म अनुयायी
  • कन्नड में कविराज मार्ग की रचना – अमोघवर्ष
  • आदिपुराण – जिनसेन
  • गणितसार संग्रह – महाविराचार्य
  • अमोघवृति- सक्तेयना 
उपरोक्त तीनों लेखक अमोघवर्ष के दरबार में रहते थे
  • अमोघवर्ष – तुंग भद्रा नदी में समाधि
  • इन्द्र -3 का काल – अरब निवासी अलम सुदी भारत आया
  • राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक – कृष्ण -3
  • कृष्ण -3 के दरबार में कन्नड भाषा के कवि पोन्न रहते थे जिन्होंने शान्ति पुराण की रचना की 
  • कल्याणी के चालुक्य तैलप-2 ने कर्क को हराकर राष्ट्रकूट पर अपना अधिकार कर लिया व कल्याणी के चालुक्य वंश की नीव डाली |
  • एलोरा और एलिफैन्टा (महाराष्ट्र ) गुहामंदिरों का निर्माण – राष्ट्रकूटों के समय
  • एलोरा में कुल गुफा – 34

चालुक्य वंश (कल्याणी) [Chalukya Dynasty - Kalyani]

  • संस्थापक – तैलप -2
  • राजधानी – मान्य खेट
  • सोमेश्वर प्रथम ने मान्य खेट से राजधानी हटाकर – कल्याणी (कर्नाटक) को
  • इस वंश का सबसे प्रतापी शासक – विक्रमादित्य -4
  • विक्रमादित्य 4 के दरबार मे – विलहण व विज्ञानेश्वर
  • हिन्दू विधि ग्रंथ मिताक्षरा की रचना – विज्ञानेश्वर

चालुक्य वंश (वातापी) [Chalukya Dynasty - Vatapi]

  • संस्थापक – जयसिंह
  • राजधानी – वातापी (बीजापुर के निकट)
  • इस वंश के प्रमुख शासकों में से पुलकेशिन 2 सबसे प्रतापी राजा था |
  • पुलकेशिन 2 ने हर्षवर्धन को हराकर उपाधि धारण – परमेश्वर
  • पल्लव वंशी शासक नरसिंह वर्मन प्रथम ने हराया – पुलकेशिन 2 को
  • हराकर उसकी राजधानी बादामी पर अधिकार किया |
  • इस विजय उपरांत नरसिंह वर्मन ने उपाधि – वातापीकोंड
  • एहॉल अभिलेख का संबंध – पुलकेशिन 2 से (लेखक – रविकृति)
  • वातापी का निर्माणकर्ता – कीर्तीवर्मन
  • इस वंश का अंतिम शासक – कीर्तीवर्मन 2
  • इसे इसके सामंत दंतिदूर्ग ने परास्त कर राष्ट्रकूट वंश की स्थापना की
  • एहॉल को – मंदिरों का शहर कहते है|

चालुक्य वंश (बेंगी) [Chalukya Dynasty - Vengi]

  • संस्थापक- विष्णुवर्धन
  • राजधानी – बेंगी (आंध्र प्रदेश)
  • सबसे प्रतापी- विजयादित्य तृतीय


Post a Comment

0 Comments

Close Menu